भारतीय भाषाओं का वगॏकरण
भारतीय भाषाओं का
वर्गीकरण-
भारतीय भाषाओं के चार
प्रमुख वर्गों में वर्गीकृत किया जाता है। indo-european भारोपीय परिवार दूसरा नंबर दो दविड़ परिवार नंबर
3 आस्टिक परिवार नंबर 4 चीनी तिब्बती परिवार।
देश की जनसंख्या का 73%
भाग भारोपिय परिवार की 25% भाग दविड़ परिवार की परिवार की तथा सिर्फ 0.7% भाग चीनी तिब्बती परिभाषाएं बोलता है इन भाषाओं का इस प्रकार है
1. इंडो यूरोपियन भाषाएं
भारतीय
जनसंख्या का लगभग तीन चौथाई भाग यूरोपीय परिवारों की भाषाएं बोलता है उनके बोलने
वाले आर्य कहलाते हैं इस परिवार की भाषाओं को दो मुख्य वर्गों में बांटा जाता है
कहना दर्दी दूसरा इंडो आर्य दर्दी, वर्ग के में दर्दी, सीना , कोहिस्तान तथा कश्मीरी भाषाएं सम्मिलित की जाती है इनमें से सिर्फ कश्मीरी के
बोलने वालों की संख्या 20 लाख से अधिक है शेष भाषाओं के बोलने वालों की संख्या
7000 से इंडो आर्य वर्ग की भाषाएं को 6 उप वर्गों में विभाजित किया गया है
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उत्तरी
पश्चिमी वर्ग जिसमें लहंगा पक्षी सिंधी भाषाएं शामिल है।
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दक्षिणी वर्ग
जिसमें मराठी और कोंकणी भाषाएं आती है।
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पूर्वी वर्ग
जिसमें उड़िया बिहारी बंगला कथा असमिया शामिल है बिहारी भाषा की अनेक महत्वपूर्ण बोलियां
है जैसे भोजपुरी मैथिली मगही आदि
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पूर्वी मध्य
वर्ग जिसमें अवधि बघेली और छत्तीसगढ़ी तीन मुख्य उपवर किए जाते हैं।
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मध्यवर्ग
जिसमें पश्चिमी हिंदी पंजाबी, राजस्थानी और गुजराती भाषाएं शामिल है। हिंदी की
अनेक बोलियां हैं जैसे बड़ी बोली , ब्रजभाषा, बंगारू , कन्कन्नौज,
बुलंदी आदि । इस प्रकार राजस्थानी की भी अनेक बोलना है जैसे मारवाड़ी, मेवाड़ी , मालवीय आदि।
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उत्तरी वर्ग
जिसमें विभिन्न पहाड़ी बोलियां सम्मिलित हैं जैसे नेपाली, मध्य पहाड़ी, पश्चिमी पहाड़ी आदि।
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